Mantra Before Taking Lunch
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
हम को मन की शक्ति देना -
हम को मन की शक्ति देना, मन विजय करें
दूसरोंकी जय से पहले, खुदकी जय करें
हम को मन की शक्ति देना ...
भेद-भाव अपने दिलसे, साफ़ कर सकें
दूसरोंसे भूल हो तो, माफ़ कर सकें
झूठ से बचे रहें, सचका दम भरें
दूसरोंकी जयसे पहले, खुदकी जय करें
हम को मन की शक्ति देना ...
मुश्किलें पड़ें तो हमपे, इतना कर्म कर
साथ दें तो धर्म का, चलें तो धर्म पर
खुदपे हौसला रहे, सचका दम भरें
दूसरोंकी जयसे पहले, खुदकी जय करें
हम को मन की शक्ति देना ...
Tuesday
इतनी शक्ति हमें दे न दाता............
इतनी शक्ति हमें दे न दाता
मनका विश्वास कमज़ोर हो ना
हम चलें नेक रास्ते पे हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना-
इतनी शक्ति ........................हो ना।
दूर अज्ञान के हो अन्धेरे तू हमें ज्ञान की रौशनी दे हर बुराई से बचके रहें हम जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे बैर हो ना किसीका किसीसे भावना मन में बदले की हो ना... हम चले......................हो ना। हम न सोचें हमें क्या मिला है हम ये सोचें किया क्या है अर्पण फूल खुशियों के बाटें सभी को सबका जीवन ही बन जाये मधुबन अपनी करुणा को जब तू बहा दे करदे पावन हर इक मन का कोना... हम चले.........................हो ना। तनी शक्ति हमें दे ना दाता, मनका विश्वास कमज़ोर हो ना।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ-2
अज्ञानता से हमें तारदे माँ-2
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ..
तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे
हम है अकेले, हम है अधूरे
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
मुनियों ने समझी, गुनियों ने जानी
वेदोंकी भाषा, पुराणों की बानी
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने
विद्या का हमको अधिकार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
तू श्वेतवर्णी, कमल पर विराजे
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे
मनसे हमारे मिटाके अँधेरे,
हमको उजालों का संसार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे ।
कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ॥
तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे ।
कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ॥
तुम ही हो नईया, तुम ही खिवईया ।
तुम ही हो बंधू, सखा तुम ही हो ॥
तुम ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
जो खिल सके ना वो फूल हम हैं ।
तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ॥
जो खिल सके ना वो फूल हम हैं ।
तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ॥
दया की दृष्टि, सदा ही रखना ।
तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया,
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम |
भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा -2
लहरों से लगी हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा -2
इस लडखडाती हुई नव को जो किसी ने किनारा दिखाया,
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया | मेरे राम ||
शीतल बने आग चन्दन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी -2
उजयाली पूनम की हो जाये राते जो थी अमावस अँधेरी -2
युग युग से प्यासी मुरुभूमि ने जैसे सावन का संदेस पाया |
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया | मेरे राम ||
जिस राह की मंजिल तेरा मिलन हो उस पर कदम मैं बड़ाऊ-2
फूलों मे खारों मे पतझड़ बहारो मे मैं ना कबी डगमगाऊ -2
पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया |
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया | मेरे राम ||
वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें-2
पर-सेवा पर-उपकार में हम,
जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥
हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के,
सेवक बन संताप हरें-2
जो हैं अटके, भूले-भटके,
उनको तारें खुद तर जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥
छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ,
अन्याय से निशिदिन दूर रहें-2
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥